सपनें,ख्वाब जिंदगी में वो शब्द हैं जिनसे हम सभी दो चार होते हैं कभी न कभी ..हर कोई सपना देखता है ! हर किसी के आँखों में एक ख्वाब होती है..इतना तो हम सभी जानते हैं...अगर कुछ नही जानते या यूँ कहूँ की जान-ना नही चाहते..तो वो है औरों के ख्वाब औरों के सपने..हम भूल जाते हैं हमारे सख्वाबों की तरह ही होते हैं दुसरे के भी ख्वाब..वो भी अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए न जाने कितना कुछ करता होगा..क्या कुछ खोता होगा कुछ पाने की छह में...पर अक्सर हम लोग अपनी सपनों अपनी ख्वाबों में इस कदर खो जाते हैं की दूसरों की दुःख दूसरों की दर्द हमें दिखाई ही नही देती..पर हमें बदलना है..इन आदतों को ऐसे कल्चर को जो सिर्फ अपने लिए जीते हैं...हमें एक ऐसी दूनियाँ बनानी है जिसमे हम सब एक हो...मानता हूँ थोडा मुश्किल है..पर नामुमकिन नहीं...हम खुद से ये शुरुआत करते हैं...कहते हैं न एक सही कदम..हजारों मीलों की सफ़र तय कर सकता है....!!तो क्यों न वो पहला कदम हमारा हो....???
मेरा ब्लॉग "मैं और मेरी बातें " मेरे मन में उठने वाले कुछ जज्बातों को शब्दों की शक्ल देने की कोशिश है...क्यूंकि मैं मानता हूँ अपने जज्बातों को किसी के सामने बयाँ करने से बेहतर है उसे शब्दों का रूप देकर कहीं सजा देना चाहिए...और इसी सोच के साथ मैं आया हूँ आप लोगों के सामने...और उम्मीद करता हूँ आप लोगों के दिल को भी छू जाए मेरी जज़्बात...आप मेरी शब्दों में अपने जज़्बात देख पायें समझ पायें...!!
Saturday 26 December 2015
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एक मुहिम:इंसान बनने की
सुबह-सुबह हम इंसान किसी मासूम बच्चे की भांति होते हैं। निश्छल और निस्वार्थ मन,ना कोई लोभ ना कोई मोह,सुबह सो के उठा हुआ इंसान मानो ऐसा लगता ...
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