Wednesday 30 December 2015

ख़त्म हो गया ये साल 2015 भी ...पर एक तेरी याद है...जो ख़त्म ही नही होती...!!!


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एक मुहिम:इंसान बनने की

सुबह-सुबह हम इंसान किसी मासूम बच्चे की भांति होते हैं। निश्छल और निस्वार्थ मन,ना कोई लोभ ना कोई मोह,सुबह सो के उठा हुआ इंसान मानो ऐसा लगता ...