Saturday 1 July 2017

                                                              विचारों का भंवर 

मैंने ब्लॉगिंग की शुरुआत कब थी मुझे याद नहीं थोड़ा विस्तार में जाके प्रोफाइल देखूं तो पता चला सकता है पर फर्क क्या पड़ता है कब शुरू किये थे इस बात से फर्क तो इस बात से पड़ता है हमारा उद्देश्य क्या था यहाँ तक पहुँचने का पर सच कहूँ तो यूँही कभी किसी रोज गूगल के कहने पे नेक्स्ट नेक्स्ट करते पहुँच गये थे इस ब्लॉगिंग के गलियारे तक| 
एक आधा लाइन लिख भी दिए थे कुछ जोश जोश में फिर गायब हो गये पर इसमें मेरी गलती नही थी कुछ उम्र ही हमारी यही थी जिसमे हर वक़्त मन बदलता है स्थिरता कहाँ होती है हममे..|
पर जब फेसबुक पे फिर से एक बार ब्लॉगिंग डे के बारे में पढ़ा ख़ास करके ताऊ जी http://taau.taau.in/ की बाते खूब असर की मुझपे न भी क्यूँ करे उनकी बात ही लाजवाब होती है जो..
आ तो गया हूँ पर मन न जाने की विचारों के बवंडर में फसा हुआ है क्या करूँगा लिखके मैं? क्यूँ लोग जाने मेरे मन के किसी कोने में छुपे जज़्बात? लोग मेरी जज़बातों को समझ पायेंगे भी या नही? अक्सर यही तो हुआ है मेरे साथ मेरी भावनाएं मेरे जज़बातों का मजाक ही तो बना है |
कहतें हैं हमारी लेखनी हमारे मन का आयना होती है अगर खुदको देखना चाहे तो नजर आ जाते हैं अपने ही शब्दों में कहीं मेरे मन को किसी ने पढ़ के छला तो? कैसे सम्भाल पाऊंगा खुदको? इस तरह के कई  सवालों ने आ घेरा है मुझको..
पर इन विचारों के भंवर पे मिटटी डाल देना ही सही लग रहा है और वही कर रहा हूँ आ चूका हूँ इस ब्लॉगिंग के गलियारे में अपने मन के आयने को शब्दों की शक्ल देने को..उम्मीद है कहीं न कहीं उनमे आप खुद को महसूस करेंगे...

सभी को ब्लॉग दिवस की बहुत बहुत बधाई।#हिंदी_ब्लॉगिंग

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