मेरा ब्लॉग "मैं और मेरी बातें " मेरे मन में उठने वाले कुछ जज्बातों को शब्दों की शक्ल देने की कोशिश है...क्यूंकि मैं मानता हूँ अपने जज्बातों को किसी के सामने बयाँ करने से बेहतर है उसे शब्दों का रूप देकर कहीं सजा देना चाहिए...और इसी सोच के साथ मैं आया हूँ आप लोगों के सामने...और उम्मीद करता हूँ आप लोगों के दिल को भी छू जाए मेरी जज़्बात...आप मेरी शब्दों में अपने जज़्बात देख पायें समझ पायें...!!
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एक मुहिम:इंसान बनने की
सुबह-सुबह हम इंसान किसी मासूम बच्चे की भांति होते हैं। निश्छल और निस्वार्थ मन,ना कोई लोभ ना कोई मोह,सुबह सो के उठा हुआ इंसान मानो ऐसा लगता ...
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"Mohabbat" ek aisi uljhan hai jisme na chahte huye bhi har koi uljhne ki kosis karte hain..par kyun? kabhi smjh nhi paya..jaante...
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कोई उसे छूकर क्यों नही देखता,उसके स्पर्श में भी उतनी ही कोमलता है जितनी किसी खुबसूरत लड़की की स्पर्श में...वह प्यार देना चाहती है..स्वयं ...
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